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दिन और अर्मान के मीच उलचती जाने हैं मेरे सिद्दी
जो एस्या जो आँची और बाव बठी कोई अगर नहीं होता
तेरे शुरुखार सुबादा से गुलबादा आपने लिखा जो बुपारा
अगर दिल जाये पाजारे का तब भी सुन इशकी जाना
अगर वो बाव बड़े था तो पर परवार करते हैं
दिन और अर्मान के मीच उलचती जाने हैं मेरे सिद्दी
जो एस्या जो आँची और बाव बठी कोई अगर नहीं होता
तेरे शुरुखार सुबादा से गुलबादा आपने लिखा जो बुपारा
अगर दिल जाये पाजारे का तब भी सुन इशकी जाना
अगर वो बाव बड़े था तो पर परवार करते हैं